जय बाबा हरिहरनाथ की
हरिहर मंदिर सोनपुर में गंडक और गंगा के तट पर स्थित है। यह मंदिर विष्णु (हरि) और शिव (हर) को समर्पित है।
बाबा हरिहरनाथ शिवलिंग विश्व का एकमात्र ऐसा शिवालय है जिसके आधे भाग में शिव (हर) और शेष में विष्णु (हरि) की आकृति है, एक ही गर्भगृह में विराजे दोनों देव एक साथ हरिहर कहलाते हैं। पूर्व मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं ब्रह्मा ने शैव और वैष्णव संप्रदाय को एक-दूसरे के नजदीक लाने के लिए की थी।
गज-ग्राह की पुराणकथा भी प्रमाण है। एक तथ्य यह भी है कि इसी स्थल पर लंबे संघर्ष के बाद शैव व वैष्णव मतावलंबियों का संघर्ष विराम हुआ था। कथा के अनुसार श्री रामचंद्र ने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाने के दौरान यहां रुक कर हरि और हर की स्थापना की थी। उनके चरण चिह्न हाजीपुर स्थित रामचौरा में मौजूद हैं।
इस क्षेत्र में शैव, वैष्णव और शाक्त संप्रदाय के लोग एक साथ कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और जलाभिषेक करते हैं। 1757 के पहले मंदिर इमारती लकड़ियों और काले पत्थरों के शिला खंडों से बना था। इसका पुनर्निर्माण मीरकासिम ने करवाया था।
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